कैंसर की दवा का ट्रायल न होने से सुप्रीम कोर्ट नाराज | |||
नई दिल्ली/पीयूष पांडेय | |||
Story Update : Monday, July 23, 2012 1:01 AM | |||
कैंसर को पूरी तरह से ठीक करने की दवा खोजने के दावे को मौका न दिए जाने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि ऐसी उपयोगी होम्योपैथिक दवा का क्लीनिकल ट्रायल कराने से सरकार कैसे पल्ला झाड़ सकती है। निजी चिकित्सक की खोज सरकारी प्राधिकरणों की ओर से स्वीकार नहीं की जाती, महज यह कहने से मामला खत्म नहीं होता। क्योंकि दावा यदि 10 प्रतिशत भी सही हुआ तो पूरे विश्व में हर तरह के कैंसर के मरीजों को काफी लाभ मिलेगा।
सर्वोच्च अदालत ने केंद्र के अधिवक्ता को इस मसले पर सरकार से निर्देश लेकर अदालत को तीन सप्ताह में सूचित करने का आदेश जारी किया है। डॉ. एएम माधुर की अध्यक्षता वाले गुड़गांव के एनजीओ वर्ल्ड होम्योपैथिक डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन ने इस मामले में शीर्षस्थ अदालत में याचिका दायर की है। चिकित्सक का दावा है कि उनकी तैयार होम्योपैथिक दवा से सभी तरह के कैंसर को ठीक किया जा सकता है। सरकार के तमाम प्राधिकरणों से उन्होंने इसके परीक्षण और क्लीनिकल ट्रायल के लिए गुजारिश की थी, जिसे ठुकरा दिया गया। इसके बाद उन्होंने सर्वोच्च अदालत से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। जस्टिस बीएस चौहान व जस्टिस स्वतंत्र कुमार की पीठ ने सरकारी प्राधिकरणों के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि चिकित्सक के दावे में सच्चाई हुई तो यह दवा बहुत महत्वपूर्ण और उपयोगी होगी। ऐसे दावे को सरकार को ठुकराना नहीं, बल्कि मौका देना चाहिए। पीठ ने केंद्र के अधिवक्ता से सरकार का पक्ष पूछा, जवाब में सरकारी प्राधिकरणों की ओर से निजी खोज को स्वीकार किए जाने की अनुमति न होने की दलील दी गई। सर्वोच्च अदालत ने इस पर अधिवक्ता को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यदि सरकारी प्राधिकरणों का यह रवैया है तो फिर देश में निजी तौर पर होने वाली ऐसी महत्वपूर्ण खोज कभी आगे नहीं आ पाएंगी। यदि इस दावे में 10 प्रतिशत भी सच्चाई है तो भी सरकार को इसका परीक्षण कराना चाहिए। वहीं पीठ ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुकुमार से पूछा कि दावे की सच्चाई जानने के अनुमानित खर्च को वह अदालत में जमा करा सकते हैं। यदि दावा सही नहीं हुआ तो सरकारी प्राधिकरण उस राशि से अपनी भरपाई करेगा। सुकुमार ने अदालत के सुझाव पर सहमति जताई। सर्वोच्च अदालत इस मामले पर अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद करेगी। चिकित्सक ने याचिका में दावा किया है कि सभी तरह के कैंसर के लिए प्रभावी इस दवा से मरीजों के इलाज का खर्च बहुत कम हो जाएगा। डॉ. माथुर ने विभिन्न तरह के कैंसर से पीड़ित कई हजार मरीजों को इस दवा से पूरी तरह से ठीक किया है। गौरतलब है कि एनजीओ की ओर से सरकारी प्राधिकरणों से इस दवा के परीक्षण और ट्रायल के लिए 2008 से कई बार गुहार लगाई जा चुकी थी। लेकिन किसी ने भी इसे मौका देने के लिए कदम आगे नहीं बढ़ाया। |
Sunday, July 22, 2012
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